भारत नारकोटिक्स आयोग 68वा सत्र|Indian Narcotics Control Bureau|current affair-2024|
भारत नारकोटिक्स ड्रग आयोग
●भारत नारकोटिक ड्र्स आयोग की स्थापना:-1950
●मुख्यालय:-ग्वालियर(मध्यप्रदेश)
भारत को संयुक्त राष्ट्र नारकोटिकड्रग्स आयोग (CND) के 68वें सत्र की अध्यक्षताके लिए चुना गया है। भारत नारकोटिक ड्र्स आयोग के 68वें सत्र कीअध्यक्षता करेंगा
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि शंभु कुमारन ने आयोग के अध्यक्ष का पदभार संभाला।6 दिसंबर को ऑस्ट्रिया स्थित भारतीय दूतावास ने इसकी जानकारी दी।
नारकोटिक्स आयोग के कार्य
नारकोटिक ड्र्स आयोग, संयुक्त राष्ट्र की नशीलीदवाओं से संबंधित मामलों पर प्रमुख नीति-निर्माणनिकाय है।जो दुनिया मे ड्रग ट्रेड की निगरानी के लिए काम कर रहा है.
इसका काम ग्लोबल ड्र्ग ट्रेड की निगरानी करना और इसके लिए नीतियां बनाने में अन्य देशों की सहायता करना है।इसके अलावा Commission on Narcotic Drugs प्रमुख इंटरनेशनल ड्रंग ट्रेडस केकन्वेंशन को ऑर्गनाइज करता है।
Commission on Narcotic Drugs, यूनाइटेड नेशन्स इकोनॉमिक एंड सोशलकाउंसिल (ECOSOC) के आयोगों में से एक है।
यह यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑन ड्र्रस एंड क्राइम का एक शासकीय निकाय है।
नारकोटिक ड्र्रस आयोग का मुख्यालय ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में है।
जून 2024 में यूनाइटेड नेशन्स इकोनॉॉमिक एंडसोशल काउंसिल (ECOs০c) ने वल्ड ड्र्ग रिपोर्ट2024 जारी की थी।
इसमें बताया गया था कि साल-2022 में दुनिया भर में मादक पदाथों के उपयोग करने वालों की संख्या-296 मिलियन तक पहुंच गई है, जो पिछले दशक की तुलना में 21% की वृद्धि दर्शाती है।
228 मिलियन उपयोग करने वालों में कैनबिस सब लोकप्रिय मादक पदार्थ है, इसके बाद ओपिओइड्सएम्फेटामाइन्स, कोकेन और एक्स्टसी का स्थान है।
मादक पदाथों के उपयोग से संबंधित विकारों से पीड़ित 64 मिलियन लोगों में से केवल 11 में से एक को ही उपचार मिल पाता है।
वहीं, मादक पदार्थों के उपयोग से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित 18 में से केवल एक महिला को ही उपचारमिल पाता है, जबकि सात में से एक पुरुष को हीउपचार मिल पाता है।
इसके अलावा, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)के आंकड़ों के अनुसार, देश में इस समय करीब 10करोड़ लोग विभिन्न नशीले पदारथों के आदी हैं।
गृह मेंत्रालय के अनुसार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब वर्ष 2019 और 2021 के बीच तीन सालों मंनारकोटिक ड्र्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट(NDPS एक्ट) के तहत दर्ज सबसे अधिक FIR वाशीर्ष तीन राज्य हैं।
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