संविधान की अवधारणा क्या है.?|What is the concept of Constitution|Polity Part-1
संविधान की अवधारणा
राज्य,देश और राष्ट्र एक तीनों समान शब्द हैं, लेकिन इन तीनों का अर्थ अलग है,
देेश शब्द का उपयोग भौगोलिक शब्दावली में किया जाता है.
राष्ट्र शब्द का प्रयोग संस्कृत शब्दावली में किया जाता है.
राज्य क्या है..?
राज्य का वास्तविक अर्थ देश या राष्ट्र से ही है, राज्य में जनसंख्या, निश्चित भूभाग, संप्रभुता और सरकार होनी आवश्यक है.
संप्रभुता मुख्यतः दो प्रकार की होती है:-
1.आंतरिक संप्रभुता देश के अंदर क्या होगा इसका निर्धारण अगर वह देश स्वयं करता है, तो यह आंतरिक संप्रभुता कहलाती है.
2.बाह्य संप्रभुता अन्य देशों के साथ संबंधों का निर्धारण स्वयं करना,अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ संबंधों का निर्धारण स्वयं करना, बाह्य संप्रभुता कहलाती है.
राज्य क्यों बनाए गए .?
प्राकृतिक व्यवस्था (मत्स्य न्याय या कबीला संस्कृति) को खत्म करने एवं विधि का शासन स्थापित करने तथा लोगों ने अपने कल्याण हेतु जिस संस्था की स्थापना की, वहीं राज्य है .
सरकार क्या है ..?
सरकार राज्य का एक उपकरण या साधन है.सरकार के द्वारा ही राज्य लोक कल्याण का कार्य करता है.
सरकार तीन कार्य होते हैं:-
1.क्या होगा:-यह व्यवस्थापिका तय करती है.
2.कैसे होगा:-कैसे होगा यह कार्यपालिका तय करती है.
3. निगरानी कौन करेगा:-निगरानी न्यायपालिका करती है.
©इसे ही शक्तियों का पृथक्करण सिद्धांत कहा गया है.
A.व्यवस्थापिका ( Legislative) का मुख्य काम कानून का निर्माण करना है.
B.कार्यपालिका(Executive) का मुख्य कार्य व्यवस्थापिका के द्वारा बने हुए कानून को लागू करना है.
C.न्यायपालिका(judiciary) का कार्य संविधान के आधार पर व्यवस्थापिका द्वारा तैयार किए गए कानून की निगरानी करना है.
न्यायपालिका जब संविधान के आधार पर व्यवस्थापिका द्वारा बनाए गए कानून की समीक्षा करता है ,तब इसे न्यायिक समीक्षा( judicial review) कहते हैं अभी हाल ही में न्यायपालिका ने कृषि कानून की समीक्षा न्यायिक समीक्षा के आधार पर की थी.l
Next part-संविधान क्या है ,कार्य और प्रकार.....?
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